बहुत समय पहले की बात है।एक मूर्खो का छोटा सा गाँव था।वहाँ के लोग ना तो कुछ जानते थे और न कुछ समझते थे ,वे अपनी दुनियाँ में मस्त रहते थे।एक बार बारिश के समय वहाँ एक मेंढक निकल आया।वहाँ के लोगो ने इससे पहले कभी मेंढक नहीं देखा था।सभी लोग एक-एक कर मेंढक देखने को इकट्ठा होने लगे और जानने की कोशिश करने लगे कि यह क्या है।काफी देर तक देखने के बाद एक आदमी बोला कि शायद बंदर है ,दूसरा बोला नहीं नहीं यह तो मछली है ,तभी तीसरा व्यक्ति तपाक से बोला अरे भाई यह तो ऊँट है,बारिश हुई है इसलिए इधर-उधर से आ गया है।तभी भीड़ के बीच से आवाज आई की सरपंच जी को बुलाते है वही बताएंगे कि यह कौन जीव है ,वे हमारे बड़े भी हैं और उन्होंने हमसे ज्यदा दुनियाँ देखी हैं।सभी व्यक्ति उसकी बात से सहमत हुए और एक व्यक्ति सरपंचजी को बुलाने के लिए दौड़ पड़ा और उसने पूरी घटना सरपंच जी को सुनाई।
सरपंचजी पूरी बात जानने के बाद उस स्थान पर पहुंचे और मेंढक को देखा और बोले लो इतनी छोटी सी बात के लिय मुझे परेशान किया। यह तो मोर है दाना डाल दो ,खाकर चली जाएगी।गावं के सभी लोग सरपंच जी की समझदारी से खुश हुएऔर सरपंच जी की जय जयकार करते हुए घर को लौट आए।
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