कितना अजीब अपनी जिंदगी का सफर निकला,
सारे जहां का दर्द अपना मुकद्दर निकाला,
जिसके नाम अपनी जिंदगी का हर लम्हा कर दिया,
अफसोस वह हमारी चाहत से बेखबर निकला,
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तू भी आईने की तरह बेवफा निकली,
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जो सामने आया उसी का हो गया
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एक नींद क्यों रात भर नहीं आती,
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और एक नसीब है जो
ना जाने कब से सो रहा है.?
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हमने तो किसी को नहीं किया बेगाना,
जिसका दिल भरता गया वो हमें छोड़ता गया.?
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