हैप्पी बर्थडे 'दादा': एक ऐसा कप्तान जिसने विदेश में जीतना सिखाया, जानिए गांगुली की 'दादागिरी' के बारे में
- गांगुली को पहली बार 1991-92 में ऑस्ट्रेलिया टूर पर गई टीम इंडिया में शामिल किया गया था। हालांकि उनको खेलने का मौका नहीं मिला। गांगुली को 4 साल बाद एक बार टीम इंडिया में शामिल किया गया। इंग्लैंड में हुए इस मैच में गांगुली ने शतक जड़ा।
- सौरव द्वारा 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतना का जश्न आज भी याद किया जाता है। ट्राई सीरिज के फाइनल के दौरान लार्ड्स ग्राउंड की बालकनी में जश्न के अंदाज में अपनी शर्ट उतारकर लहराई थी। भारत में इसे जश्न के तौर पर देखा गया तो वहीं क्रिकेट दिग्गजों ने इस लॉर्ड्स मैदान का अपमान बताया था। हालांकि, गांगुली ने शर्ट उतारकर भारत में ऐसी ही हरकत करने वाले एंड्रयू फ्लिंटॉफ को जवाब दिया था। बाद में सफाई देते हुए गांगुली ने कहा था कि यदि आपके लिए लॉर्डस मक्का है तो हमारे लिए वानखड़े इंडियन क्रिकेट का मक्का है।
- साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टीम सिलेक्ट हो रही थी। सिलेक्शन मीटिंग में सौरव गांगुली हरभजन सिंह को टीम में शामिल करने के लिए अड़ गए। उस वक़्त हरभजन नए थे और सिलेक्टर्स उनसे ज्यादा इंप्रेस नहीं थे। लेकिन दादा को हरभजन चाहिए था तो चाहिए था। उन्होंने सिलेक्टर्स से साफ कह दिया“जब तक हरभजन टीम में नहीं आयेगा, मैं इस कमरे से बाहर नहीं जाऊंगा।”आखिरकार सिलेक्टर्स मान गए और इस सीरीज के दूसरे टेस्ट में हरभजन ने हैटट्रिक ली और भारत ने फॉलोऑन के बावजूद ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।
- 2004 में ऑस्ट्रेलिया टीम भारत दौरे पर आई थी। इस सीरीज में गांगुली के एटीट्यूड को लेकर एक और विवाद सामने आया था। गांगुली ने पिच पर घास होने की वजह से नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच खेलने से मना कर दिया था। रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया था कि गांगुली ने पिच की वजह से खुद को टीम से बाहर कर लिया था।
-1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बैंगलुरु में खेले जा रहे एक टेस्ट के दौरान अंपायर ने गांगुली को आउट दे दिया था। गांगुली को ये बात नागवार गुजरी और उन्होंने आउट मानने से इंकार कर दिया थ। इसके बाद उनपर एक वनडे मैच का बैन लगा दिया गया था।
- 2001 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान मैच रेफरी माइक डेनिस ने टीम के 6 क्रिकेटर्स पर बैन लगाने के साथ गांगुली को सस्पेंड कर दिया था। मैच रेफरी ने यहां सचिन पर बॉल टेम्पिरिंग के आरोप लगाने के साथ-साथ सहवाग, दीपदास गुप्ता, हरभजन सिंह और शिव सुंदर दास पर बहुत ज्यादा अपील करने का दोषी पाया था। रेफरी ने इसके बाद गांगुली पर अपनी टीम को कंट्रोल न करने का आरोप लगाते हुए 1 मैच के लिए सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद पूरे भारत में मैच रेफरी माइक डेनिस का विरोध हुआ था।
- 2005 में इंडिया-पाक सीरीज के मैच में पाक टीम बैटिंग कर रही थी। पाक बल्लेबाज मोहम्मद यूसुफ़ क्रीज़ पर थे। यूसुफ थोड़ा सा चोटिल और थके हुए भी थे। उन्होंने एक बार ड्रिंक्स के लिए टाइम ब्रेक लिया, फिर कोहनी में चोट लगने पर फिज़ियो को बुला लिया। इनिंग्स का निर्धारित टाइम ओवर हो रहा था। ऐसे में अगर दिए गए समय में इंडियन टीम 50 ओवर नहीं फेंक लेती है, तो गांगुली पर फाइन लग सकता था। गांगुली बिफ़र पड़े और यूसुफ़ से कहने लगे,“नहीं नहीं तेरी बात नहीं कर रहा हूं. मैं अपनी बात कर रहा हूं. तू रेस्ट ले मेरे को प्रॉब्लम नहीं है. नहीं मैं ये नहीं बोल रहा हूं जान बूझ के कर रहा है तू. तू टाइम नोट कर ले बस।”ये बातें स्टंप माइक पर रिकॉर्ड हो गई और पूरी दुनिया ने इसे टीवी पर लाइव सुना।
- 2001 में गांगुली ने श्रीलंका के खिलाफ मैच में आउट होने के बाद गुस्से में अंपायर को बैट दिखया था। इसके बाद बॉलिंग के दौरान अंपायर के एक फैसले पर बहस करने लगे थे, जिसके बाद उनपर एक और मैच का बैन लगा दिया गया था।
- गांगुली और टीम इंडिया के पूर्व कोच ग्रेग चैपल के विवाद को भारतीय इतिहास के सबसे बुरे दौर में से एक माना जाता है। 2005 में तत्कालीन कोच चैपल कप्तान गांगुली की बैटिंग से नाखुश थे और उन्होंने गांगुली से अपनी बैटिंग सुधारने की बात कही। इसके बाद अगले ही मैच में गांगुली ने सेन्चुरी लगाने के बाद मीडिया को बताया कि चैपल चाहते हैं कि मैं खेलना छोड़ दूं। इसके बाद क्रिकेट जगत में ये बात आग की तहर फैली। हालांकि इस विवाद के कारण गांगुली को दो साल तक टीम से बाहर रहना पड़ा था।
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