वाह रे इंसान ...
घर में निकला चूहा .....
दवा डाल मार गिराया।
मन्दिर में माटी के चूहे को.....
अपना दुःखड़ा बोल आया।
बच्चे मांगें खिलौने, माँ बाप ने डाँट दिया.....
मन्दिर की पेटी में दिल खोल चन्दा डाल दिया।
नहाकर गंगा में, सब पाप धो आया.....
वहीं से धोये पापों का पानी भर लाया।
माटी की मूरत से अपनी जिन्दगी की भीख माँग आया.......
उसी मूरत के सामने जानवर बेजुबान काट आया।
जिन्दगी भर कौवे को अशुभ मानता आया.......
फिर मरे माँ बाप को कौआ समझ भोजन करा आया।
वाह वाह रे इन्सान तरीका......
तेरा मेरी समझ में न आया !!!
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