रुलाना हर किसी को आता है;
हँसाना भी हर किसी को आता है;
रुला के जो मना ले वो सच्चा यार है;
और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही सच्चा प्यार है।
नज़रे मिले तो प्यार हो जाता है;
पलके उठे तो इज़हार हो जाता हैं;
ना जाने क्या कशिश हैं चाहत में;
कि कोई अनजान भी हमारी;
जिंदगी हक़दार हो जाता है।
जख्म बन जाने की आदत है उन्हें;
रुला कर मुस्कुराने की आदत है उन्हें;
मिलेंगे कभी तो खूब रुलाएंगे;
सुना हैं रोते हुए लिपट जाने की आदत है उन्हें।
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